युद्ध नव यह आज का,
इसमें हैं विश्व भारत।
है विनाश मानवता का,
यह आज का महाभरत॥
आज कि दुनियाँ में देखो,
है विस्तृत भ्रष्टचार।
नेता अपनी जेब भरते,
दुनिया को दुःख अपार ॥
शिवाजी भगत आजाद ने,
संघर्ष भारत के लिए किया।
अंग्रेजों के ख्वाब को,
मिट्टी में मिला दिया॥
जो रह सके स्वाधीन भारत।
यह आज का महाभारत॥
मर रहे हैं नव युवक,
बेरोजगारी व भूख से।
तप रहे हें बाट - बाट,
पत्थर तोड़ धूप से॥
वस्त्र हीन बच्चे भी,
भूख से नित मर रहे।
चिंता रहित नेता नित,
कुर्सी हेतु लड़ रहे॥
निज सीमा के विवाद में,
हुआ कारगिल यूद्ध।
कोहराम मचाने में,
सपल हुआ विरुध॥
भारत एक नींव हैं,
विश्व बंधत्व का सहारा।
आतंकवाद नष्ट हो,
जो सफल देश हमारा॥
आया नयी पुंज बन,
हो दीप्त नया भारत।
यह आज का नया भारत॥
(दीपक सिंह कण्डारी)
इसमें हैं विश्व भारत।
है विनाश मानवता का,
यह आज का महाभरत॥
आज कि दुनियाँ में देखो,
है विस्तृत भ्रष्टचार।
नेता अपनी जेब भरते,
दुनिया को दुःख अपार ॥
शिवाजी भगत आजाद ने,
संघर्ष भारत के लिए किया।
अंग्रेजों के ख्वाब को,
मिट्टी में मिला दिया॥
जो रह सके स्वाधीन भारत।
यह आज का महाभारत॥
मर रहे हैं नव युवक,
बेरोजगारी व भूख से।
तप रहे हें बाट - बाट,
पत्थर तोड़ धूप से॥
वस्त्र हीन बच्चे भी,
भूख से नित मर रहे।
चिंता रहित नेता नित,
कुर्सी हेतु लड़ रहे॥
निज सीमा के विवाद में,
हुआ कारगिल यूद्ध।
कोहराम मचाने में,
सपल हुआ विरुध॥
भारत एक नींव हैं,
विश्व बंधत्व का सहारा।
आतंकवाद नष्ट हो,
जो सफल देश हमारा॥
आया नयी पुंज बन,
हो दीप्त नया भारत।
यह आज का नया भारत॥
(दीपक सिंह कण्डारी)