Sunday, March 23, 2014

आज का महाभारत

युद्ध नव यह आज का,
इसमें हैं विश्व भारत।
है विनाश मानवता का,
यह आज का महाभरत॥

आज कि दुनियाँ में देखो,
है विस्तृत भ्रष्टचार।
नेता अपनी जेब भरते,
दुनिया को दुःख अपार ॥

शिवाजी भगत आजाद ने,
संघर्ष भारत के लिए किया।
अंग्रेजों के ख्वाब को,
मिट्टी में मिला दिया॥

जो रह सके स्वाधीन भारत।
यह आज का महाभारत॥

मर रहे हैं नव युवक,
बेरोजगारी व भूख से।
तप रहे हें बाट - बाट,
पत्थर तोड़ धूप से॥

वस्त्र हीन बच्चे भी,
भूख से नित मर रहे।
चिंता रहित नेता नित,
कुर्सी हेतु लड़ रहे॥

निज सीमा के विवाद में,
हुआ कारगिल यूद्ध।
कोहराम मचाने में,
सपल हुआ विरुध॥

भारत एक नींव हैं,
विश्व बंधत्व का सहारा।
आतंकवाद नष्ट हो,
जो सफल देश हमारा॥

आया  नयी पुंज बन,
हो दीप्त नया भारत।
यह आज का नया भारत॥

(दीपक सिंह कण्डारी)






Tuesday, December 31, 2013

दिल कि दुआ

उन से कह दो मुझे सताना छोड़ दे,
दूसरो के साथ रह कर हर पल मुझे जलाना छोड़ दे।
या तो कर दे इन्कार मुझसे मुहब्बत नहीं,
या गुजरते हुए देख मुझे पलट कर मुस्कराना छोड़ दे॥

ना कर बात मुझसे मुझे कोइ गम नहीं,
यूँ सुनकर आवाज मेरी मेरी तरफ देखना छोड़ दे।
कर दे दिल ए बयान जो छुपा रखा है,
यूँ इशारों मैं बात बताना छोड़ दे॥

क्या इरादा है बता दे अब मुझे,
यूँ दोस्तों को मेरे किस्से सुनना छोड़ दे।
है पसंद जो रंग मुझे,
उस लिबास मैं बार बार आना छोड़ दे॥ 

ना कर याद मुझे बेशक तू,
किताबों मैं लिख लिख नाम मिटाना छोड़ दे।
उन से कह दो मुझे सताना छोड़ दे,
दूसरो के साथ रह कर हर पल मुझे जलाना छोड़ दे॥

Tuesday, November 12, 2013

मुहब्बत


हम उनसे मुहब्बत करें भी तो क्यों करें,
हम उनकी यादों मैं खोये भी तो क्यों खोयें।।
उन्हें तो गुमान है अपने हुस्न पर,
हम उस हुस्न को देख कर जियें भी तो क्यों जियें।।

बहुत तड़पा हूँ उनकी यादों मैं,
बहुत रोया हूँ उनकी जुदाई में।। 
वो तो खुश है अपनी महफिल में तो अपने लोगों में,
अब हम उन्हें अपना कहें भी तो क्यों कहें,
हम उनकी याद मैं रोये भी तो क्यों रोये।।।।

Friday, June 28, 2013

फिर मिलेंगे.....

फिर मिलेंगे
                   लेकिन कहाँ मुझे भी नहीं पता। लेकिन कही न कही हम एक दुसरे से जरुर मिलेगे इतना मुझे यकीन है . कहीं गुलशन के वीराने में तो कही सूखे हुए रेगिस्तान में या शायद तन्हाई भरी राहों पर।
..................
................................
............................................
...........................................................
........................................................................

Saturday, October 29, 2011

फर्क (Luck by chance)


सभी इंसान है मगर फर्क सिर्फ इतना है,
कुछ जख्म देते है, और कुछ जख्म भरते है..

हमसफ़र तो सभी है मगर फर्क सिर्फ इतना है,
कुछ साथ देते है और कुछ साथ छोड़ देते है..

प्यार तो सभी करते है मगर फर्क सिर्फ इतना है
कुछ जान देते है और कुछ जान ले लेते है..

दोस्ती सभी करते है मगर फर्क सिर्फ इतना है
कुछ लोग निभाते है और कुछ लोग आजमाते है......

Wednesday, June 22, 2011

दिल ले गयी


वक्त की हो धूप या हो तेज़ आधियाँ,
कुछ कदमो के निशान कभी नहीं खोते |
जिन्हें याद करके मुस्करा दे आँखें,
वो लोग दूर हो कर भी दूर नहीं होते ||

आँखों की जुबा को समझ नहीं पाए,
होंट हैं मगर कुछ कह नहीं पाए |
अपने दिल की बेबसी किस तरह कहें हम,
कोई है जिसके बगेर हम रह नहीं पाए ||

जीने की नयी अदा दिल है,
खुश रहने की उसने दुआ दी है |
ए खुदा उसे सारा जहाँ दे दे,
जिसने अपने दिल में थोड़ी सी जगह दी है ||

पूछो मेरे दिल से तुम्हे पैगाम लिखा हूँ,
साथ गुजारी बातें तमाम लिखा हूँ |
दीवानी हो जाती है वो कलम भी,
जिस कलम से तुम्हारा नाम लिखता हूँ ||

तुम दोस्त हो मेरे सदा के लिए,
में जिंदा हूँ तुम्हारी वफ़ा के लिए |
कर लेना लाखों शिकवा हमसे मगर,
कभी खफा न होना खुदा के लिए ||

Thursday, June 9, 2011

अकेलापन


कदम थक गए है दूर निकलना छोड़ दिया है,
ऐसा नहीं की मैंने चलना छोड़ दिया है |

फासले अक्सर मोहब्बत बढा देते है,
ऐसा नहीं की मैंने करीब आना छोड़ दिया है ||

मैंने चिरागों से रोशन की है अक्सर अपनी शाम,
पर ऐसा नहीं की मैंने दिल को जलाना छोड़ दिया है |

मैं आज भी अकेला हूँ दुनिया की भीड़ मैं,
पर ऐसा नहीं की मैंने जमाना छोड़ दिया है ||