मंजिल ठहराव नहीं एक पड़ाव है,
क्योंकि जिंदगी कभी धूप तो कभी छाव है |
यात्रा कभी होती नहीं पूरी,
इच्छा सदा रहती अधूरी ||
तृप्ति कि कामना,
कराती लक्ष्यों से सामना |
वक्त की चाल पे,
ठिकाना ढूढता हर कोई ||
राही राह मैं बढता,
आशा के लिए |
तब जाकर नई सुबह हुई,
कुछ पल ठहरा वहां ||
तभी बदलते वक्त की,
पुकार हुई आगे बढ़ो |
अभी बहुत वक्त है,
यहाँ तो बस शुरुआत है .... ||
मंजिल कि तलाश मैं भटकते हए यारो,
दूर कि रोशनी से आश लगाये रखना |
यूं तो कई मोड़ आते है सफ़र के दरमियाँ,
तुम कारवां बनकर साथ निभाए रखना ||
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