इतनी बड़ी धरती हमारी
और छोटे से हम....
मानव, पशु, और पक्षी,
लाखों जीवों का यह घर..
धरती पर, धरती के नीचे,
कुछ रहते धरती के उपर |
सब में जीवन, सब हैं बराबर,
नहीं है कोई कम..
इतनी बड़ी धरती हमारी,
और छोटे से हम ||
रंग-बिरंगे, कीट , पतंगे,
माघ, गगन पंछी मंडराते |
दाने दो ही चुगते लेकिन,
मीठे, लंबे गीत सुनाते ||
डगमग चलते, नाचा करते
खुश रहते हैं वो हर दम |
इतनी बड़ी धरती हमारी,
और छोटे से हम |
कई, घास, पौधे नन्हे,
जीवन रक्षक वृक्ष हुमारे..
रोटी. दाल, सब्ज़ी, फल,
जीवन के ये श्रोत हुमारे |
जब तक भूमि हरी रहेगी,
तब तक स्वस्थ रहेंगे हम,|
इंतनी बड़ी धरती हमारी.....
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