मिला वो भी नहीं करते, मिला हम भी नहीं करते..
वफा वो भी नहीं करते, दगा हम भी नहीं करते..
उन्हें रुसवाई का दुःख, हमें तन्हाई का डर..
गिला वो भी नहीं करते,शिकवा हम भी नहीं करते..
किसी मोड़ पर मुलाकात हो जाती है अक्सर..
रुका वो भी नहीं करते, ठहरा हम भी नहीं करते..
जब भी देखते है उन्हें, सोचते है कुछ कहें उनसे..
सुना वो भी नहीं करते, कहा हम भी नहीं करते..
लेकिन ये भी सच है कि उन्हें भी है मुहब्बत हमसे..
इन्कार वो भी नहीं करते इजहार हम भी नहीं करते.....
Pratik hota ki,lakhak ne apane jivan k kuch palo ki shabdo me pero kar kagaj pe utar diya ho...
ReplyDeletenice one dude
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