Saturday, January 15, 2011

फूल कि फरियाद


मेरे क्या खता थी जालिम, तुने जो तोडा मुझे ||
क्यों न मेरे उम्र तक, डाल पर ही छोड़ा मुझे ||
खून मेरा अपना सर लेकर, तुझे क्या मिल गया ||
पेड़ के जिगर को अलग करके, तुझे क्या मिल गया ||||

जिसकी रौनक था में, बे रौनक वो डाली हो गयी ||
जैसे बिन बच्चे की, गोद खाली हो गयी ||
शाख क्या कहे और किससे कहे, बस बात तू ये जान ले ||
किसी को जुदा करना अच्छा नहीं, बात तू ये मान ले ||||||