Saturday, October 29, 2011

फर्क (Luck by chance)


सभी इंसान है मगर फर्क सिर्फ इतना है,
कुछ जख्म देते है, और कुछ जख्म भरते है..

हमसफ़र तो सभी है मगर फर्क सिर्फ इतना है,
कुछ साथ देते है और कुछ साथ छोड़ देते है..

प्यार तो सभी करते है मगर फर्क सिर्फ इतना है
कुछ जान देते है और कुछ जान ले लेते है..

दोस्ती सभी करते है मगर फर्क सिर्फ इतना है
कुछ लोग निभाते है और कुछ लोग आजमाते है......

Wednesday, June 22, 2011

दिल ले गयी


वक्त की हो धूप या हो तेज़ आधियाँ,
कुछ कदमो के निशान कभी नहीं खोते |
जिन्हें याद करके मुस्करा दे आँखें,
वो लोग दूर हो कर भी दूर नहीं होते ||

आँखों की जुबा को समझ नहीं पाए,
होंट हैं मगर कुछ कह नहीं पाए |
अपने दिल की बेबसी किस तरह कहें हम,
कोई है जिसके बगेर हम रह नहीं पाए ||

जीने की नयी अदा दिल है,
खुश रहने की उसने दुआ दी है |
ए खुदा उसे सारा जहाँ दे दे,
जिसने अपने दिल में थोड़ी सी जगह दी है ||

पूछो मेरे दिल से तुम्हे पैगाम लिखा हूँ,
साथ गुजारी बातें तमाम लिखा हूँ |
दीवानी हो जाती है वो कलम भी,
जिस कलम से तुम्हारा नाम लिखता हूँ ||

तुम दोस्त हो मेरे सदा के लिए,
में जिंदा हूँ तुम्हारी वफ़ा के लिए |
कर लेना लाखों शिकवा हमसे मगर,
कभी खफा न होना खुदा के लिए ||

Thursday, June 9, 2011

अकेलापन


कदम थक गए है दूर निकलना छोड़ दिया है,
ऐसा नहीं की मैंने चलना छोड़ दिया है |

फासले अक्सर मोहब्बत बढा देते है,
ऐसा नहीं की मैंने करीब आना छोड़ दिया है ||

मैंने चिरागों से रोशन की है अक्सर अपनी शाम,
पर ऐसा नहीं की मैंने दिल को जलाना छोड़ दिया है |

मैं आज भी अकेला हूँ दुनिया की भीड़ मैं,
पर ऐसा नहीं की मैंने जमाना छोड़ दिया है ||

Tuesday, May 31, 2011

मुझे मेरा प्यार चहिए. . .

जो बनी है मेरे लिए,
जिस के लिए मैं जी रहा हूँ |
जो कहे हम साथ हैं तेरे,
जिसे देखने के लिए तड़प रहा हूँ |
एक ऐसा दिलदार चहिए,
बस मुझे मेरा प्यार चहिए ||

आने से जिसके फूल भी शर्मा जाये,
चलने से जिसके हवा भी थम जाये |
वो हर वक़्त रहे साथ मैं मेरे,
चाहे सारी दुनियां मुझ से रूठ जाये |
ऐसा ही किसी का एतबार चहिए,
बस मुझे मेरा प्यार चहिए ||


जिस की एक हंसी के लिए,
मर जाने को दिल करे |
जो कह दे एक बार तो,
फिर जीने को दिल करे |
ऐसा ही एक हमसफ़र चहिए,
बस मुझे मेरा प्यार चहिए ||

एक बार मिली थी मुझे वो,
पर पता नहीं कहाँ खो गयी |
अब अगर मिल जाये तो,
उसे कही जाने नहीं दूं |
वो ही खोया प्यार चहिए,
बस मुझे मेरा प्यार चहिए . . . . . . . ||

Friday, March 18, 2011

क्या बात है....


किताबों के पन्नों को पलट के सोचता हूँ,
यूँ पलट जाये मेरी जिंदगी तो क्या बात है.
ख्वाबों में रोज मिलता है जो,
हकीकत में मिल जाये तो क्या बात है,
कुछ मतलब के लिए ढूढ़ते है मुझको,
बिन मतलब जो आये तो क्या बात है.
क़त्ल करके तो सब ले जायेगे दिल मेरा,
कोई बातों से ले जाये तो क्या बात है.
जो शरीफों की शराफत में बात ना हो,
एक शराबी कह जाये तो क्या बात है.
अपने रहने तक तो ख़ुशी देंगे सब को,
जो किसी को मेरी मौत पे ख़ुशी मिल जाए तो क्या बात है...

Saturday, January 15, 2011

फूल कि फरियाद


मेरे क्या खता थी जालिम, तुने जो तोडा मुझे ||
क्यों न मेरे उम्र तक, डाल पर ही छोड़ा मुझे ||
खून मेरा अपना सर लेकर, तुझे क्या मिल गया ||
पेड़ के जिगर को अलग करके, तुझे क्या मिल गया ||||

जिसकी रौनक था में, बे रौनक वो डाली हो गयी ||
जैसे बिन बच्चे की, गोद खाली हो गयी ||
शाख क्या कहे और किससे कहे, बस बात तू ये जान ले ||
किसी को जुदा करना अच्छा नहीं, बात तू ये मान ले ||||||