इस कदर वो याद करते है हमें,
आँखों ही आँखों में बयाँ करने वाले |
देते है मुस्कराहट का तोहफा,
कल तक जो भूल बैठे थे हमें ||
उलझन में हूँ ख्वाब ही लगता है,
उनका फिर आना एक चाहत सा लगता है |
जी चाहता है थाम लूं दामन उनका,
पर फिर उस टूटे हुए दिल का ख्याल आता है ||
इस कदर वो भूल बैठे हमें,
हर पल पहलू में रहने वाले |
दावा करने थे मरहम बनने का जो,
वही जख्म गहरा दे गए थे हमें ||
वो तो भूल बैठे
इस कदर हमें,
हम है कि ख्वाबों में भी उन्हे
देखते है |
आज आये है वो फिर इस गुजारिश के साथ,
क्या टूटे हुए दिलों को फिर से जोड़ पायेंगे वो...??