Wednesday, June 22, 2011

दिल ले गयी


वक्त की हो धूप या हो तेज़ आधियाँ,
कुछ कदमो के निशान कभी नहीं खोते |
जिन्हें याद करके मुस्करा दे आँखें,
वो लोग दूर हो कर भी दूर नहीं होते ||

आँखों की जुबा को समझ नहीं पाए,
होंट हैं मगर कुछ कह नहीं पाए |
अपने दिल की बेबसी किस तरह कहें हम,
कोई है जिसके बगेर हम रह नहीं पाए ||

जीने की नयी अदा दिल है,
खुश रहने की उसने दुआ दी है |
ए खुदा उसे सारा जहाँ दे दे,
जिसने अपने दिल में थोड़ी सी जगह दी है ||

पूछो मेरे दिल से तुम्हे पैगाम लिखा हूँ,
साथ गुजारी बातें तमाम लिखा हूँ |
दीवानी हो जाती है वो कलम भी,
जिस कलम से तुम्हारा नाम लिखता हूँ ||

तुम दोस्त हो मेरे सदा के लिए,
में जिंदा हूँ तुम्हारी वफ़ा के लिए |
कर लेना लाखों शिकवा हमसे मगर,
कभी खफा न होना खुदा के लिए ||

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