Thursday, June 9, 2011

अकेलापन


कदम थक गए है दूर निकलना छोड़ दिया है,
ऐसा नहीं की मैंने चलना छोड़ दिया है |

फासले अक्सर मोहब्बत बढा देते है,
ऐसा नहीं की मैंने करीब आना छोड़ दिया है ||

मैंने चिरागों से रोशन की है अक्सर अपनी शाम,
पर ऐसा नहीं की मैंने दिल को जलाना छोड़ दिया है |

मैं आज भी अकेला हूँ दुनिया की भीड़ मैं,
पर ऐसा नहीं की मैंने जमाना छोड़ दिया है ||

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