Tuesday, August 10, 2010

निमत्रण

प्रिय कलम,
आशा है की तुम ठीक - ठाक होगे, यहाँ पर सभी ठीक है | आज पत्र लिखने का खास कारण यह है की हमारे मित्रगण किताब की हालत ठीक नहीं है, दिन - प्रतिदिन वह बिगडती जा रही है. | यह सोचकर की कही किताब का अस्तित्व ही समाप्त न हो जाय इसलिए मुझे उनके भाई कापी साहब ने उसको एक बार पुनः लिखने के लिए आमंत्रित किया है | इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए मुझे आपकी सहायता की अति आवश्कता है | यहाँ पर अक्षर और शब्द तुम्हें बहुत ही याद करते है, कभी - कभी तो इतना याद करते है कि मुझसे ही रूठ जाते है | कलम भाई इन बच्चों का दिल रखने के लिए और मुझे सोपें गए कार्य को पूरा करने के लिए तुम एक बार यहाँ आने का कष्ट करना |
मुझे आपका हर पल इन्तजार रहेगा |

तुम्हार दोस्त:
स्याही राम


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