Wednesday, August 25, 2010

इतनी बड़ी धरती हमारी


इतनी बड़ी धरती हमारी
और छोटे से हम....

मानव, पशु, और पक्षी,
लाखों जीवों का यह घर..
धरती पर, धरती के नीचे,
कुछ रहते धरती के उपर |
सब में जीवन, सब हैं बराबर,
नहीं है कोई कम..
इतनी बड़ी धरती हमारी,
और छोटे से हम ||

रंग-बिरंगे, कीट , पतंगे,
माघ, गगन पंछी मंडराते |
दाने दो ही चुगते लेकिन,
मीठे, लंबे गीत सुनाते ||

डगमग चलते, नाचा करते
खुश रहते हैं वो हर दम |
इतनी बड़ी धरती हमारी,
और छोटे से हम |

कई, घास, पौधे नन्हे,
जीवन रक्षक वृक्ष हुमारे..
रोटी. दाल, सब्ज़ी, फल,
जीवन के ये श्रोत हुमारे |
जब तक भूमि हरी रहेगी,
तब तक स्वस्थ रहेंगे हम,|
इंतनी बड़ी धरती हमारी.....

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