Tuesday, August 24, 2010

बहाने

रूठी तन्हाइयों में,दर्द की बाहों में सिमटे,
कहीं मंज़िल हम तलाश रहे है |
लवों पे तीखी शराब को चूमे,
हम नशे मे झूम रहे है ||

क्या कहती है तू ज़िंदगी,
सब सहती है तू ज़िंदगी,
थम थम के चलती है ये धडकनें |
हम अचम्भित है की,
रुकती क्यों नही ये धडकनें,
कही हमने ज़ायदा तो नही पी ली है ||

आंखों से छलकते है अंगारे,
ये आँखें सदा के लिए,
बंद होते क्यों नही |
हम जी रहे है बिना सहारे,
कहीं यही तो जीना नही,
हर जाम से लगता है,
दर्द हलके हो रहे है ||

वो कहते है,
इतनी पिया ना करो |
घुट घुट के यों जीया ना करो,
हमसे बर्दास्त नहीं होती ये जुदाई ,
पीते रहेंगे तो जीते रहेंगे,
खुद को पल पल यही दिलासा दे रहे है.........

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